महसूस कर रही हूँ
मेरे पास से उम्र
गुजर रही है
हर साल के गुजरने का दर्द
जैसे वर्ष जम कर चिपक गए हैं
अतीत से
उम्र के बाहुपाश में
बांधने के लालसा में
संयम से नहीं फेर पाती हूँ
लम्हों के बालों में उँगलियाँ
धीरे-धीरे
जिंदगी कहीं से
बेढंगी हो रही है
फिर भी उम्र को उसी रफ्तार से गुजरने देती हूँ
नए रोमांच में
हाथ में पकड़े बहीखाते पर
इतिहास के हस्ताक्षर लिए